रामलला की प्राण प्रतिष्ठा

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पूर्व, पश्चिम हो या उत्तर दक्षिण, देशभर के चारों कोनों के आचार्य रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होंगे और आहुति डालेंगे। यह विश्व का सबसे अनूठा अनुष्ठान होगा। काशी से 151 इंडोनेशियन रुद्राक्ष और 151 गोमुखी आ रहा है। पूजन का अन्य सामान 15 तक पहुंच जाएगा।रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान विश्व का सबसे अनूठा अनुष्ठान होगा। इस अनुष्ठान में पूर्व, पश्चिम, उत्तर हो या दक्षिण…देश के चारों कोनों के आचार्य शामिल होंगे और आहुतियां डालेंगे। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए कई जगहों से पूजन सामग्री भी आ रही है। इसी क्रम में काशी से इंडोनेशियन रुद्राक्ष माला व गोमुखी मंगाई जा रही है। इसी माला से प्राण प्रतिष्ठा में मंत्रों का जप होगा। अयोध्या के एक आचार्य ने बताया कि 151 इंडाेनेशियन रुद्राक्ष की माला काशी से आ रही है। साथ ही 151 गोमुखी भी आ रही है, जिसमें माला रखकर जप किया जाएगा। पूजन में पान का भी इस्तेमाल होता है। 151 पान पूजन के लिए व एक हजार पान अतिथियों को बांटने के लिए वाराणसी से आ रहे हैं। पान के पत्तों के बिना धार्मिक अनुष्ठान पूरे नहीं होते हैं। पान के अंदर और बाहरी हिस्से में भगवान विष्णु और भगवान शिव वास करते हैं। साथ ही पूजा थाल, लोटा, सिंहासन, पीतल के घंटे, हाथ की घंटी, कुश, छत्र, चंवर, पूजा, डोलची भी काशी से ही आ रही है। माला से लेकर सभी चीजें 15 जनवरी तक अयोध्या पहुंच जाएंगी।

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