
इस घटनाक्रम से हैरान राहुल गांधी ने कहा कि उन्होंने बोलने की अनुमति मांगी थी, लेकिन लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने अचानक सत्र समाप्त कर दिया और उन्हें बोलने नहीं दिया।
“मुझे समझ नहीं आ रहा कि यह क्या हो रहा है। मैंने उनसे अनुरोध किया कि मुझे बोलने दिया जाए, लेकिन वह (स्पीकर) बस भाग गए,” गांधी ने पत्रकारों से कहा।
संसद में विपक्ष के लिए कोई स्थान नहीं:
गांधी ने सदन में हुई घटनाओं पर विस्तार से बताते हुए कहा कि उन्हें बोलने से रोकना अब एक सामान्य प्रथा बन गई है।
“मुझे 7-8 दिनों से बोलने नहीं दिया गया। यह एक नई रणनीति है। सदन में विपक्ष के लिए कोई स्थान नहीं है,” उन्होंने आरोप लगाया।
उन्होंने आगे कहा, “उस दिन, प्रधानमंत्री ने कुंभ मेले पर बात की। मैं भी कुछ जोड़ना चाहता था, बेरोजगारी पर बोलना चाहता था, लेकिन मुझे अनुमति नहीं दी गई। यह अलोकतांत्रिक कार्यप्रणाली है।”
स्पीकर की प्रतिक्रिया
सदन की मर्यादा पर जोर देते हुए बोले स्पीकर बिरला
स्पीकर ओम बिरला ने सदन को स्थगित करने से पहले सदस्यों के आचरण और सदन की गरिमा बनाए रखने पर बल दिया। उन्होंने विशेष रूप से कहा कि “विपक्ष के नेता को एक उदाहरण पेश करना चाहिए।”
बिरला ने कहा, “मेरे संज्ञान में कई घटनाएं आई हैं, जिनमें सदस्यों का आचरण इस सदन के उच्च मानकों के अनुरूप नहीं है।” उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें उम्मीद है कि गांधी सदन के नियम 349 का पालन करेंगे, जिसमें संसद सदस्यों के आचरण से जुड़े नियम निर्धारित हैं।
मोदी बोले – महाकुंभ ने एकता की भावना को मजबूत किया
पिछले हफ्ते अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि “महाकुंभ ने एकता की भावना को मजबूत किया और उन लोगों को करारा जवाब दिया जो भारत की क्षमता पर सवाल उठाते हैं।”
उन्होंने कहा, “लोगों ने अपने अहंकार को छोड़कर ‘हम’ की भावना के साथ प्रयागराज में एकत्रित हुए… ‘मैं’ की भावना के साथ नहीं। वहां बड़े और छोटे का कोई भेदभाव नहीं था।”
लेकिन जैसे ही प्रधानमंत्री ने यह बयान दिया, विपक्षी सदस्यों ने महाकुंभ में मची भगदड़ में हुई मौतों को लेकर सरकार के खिलाफ विरोध जताया।
गांधी का स्पष्टीकरण
गांधी ने बाद में स्पष्ट किया कि वह मोदी के महाकुंभ को हमारी परंपरा बताने वाले बयान का समर्थन करना चाहते थे, लेकिन उन्हें मौका नहीं दिया गया।
उन्होंने कहा, “हमारी केवल यह शिकायत थी कि प्रधानमंत्री ने कुंभ में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि नहीं दी।”
स्पीकर ओम बिरला ने स्पष्ट किया कि प्रधानमंत्री का बयान नियम 372 के तहत दिया गया था। इसी नियम के तहत विपक्षी सदस्य प्रधानमंत्री के बयान पर स्पष्टीकरण नहीं मांग सकते थे।