भारत रत्न

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भारत रत्न का सम्मान दिए जाने और न दिए जाने के पीछे हमेशा से राजनीति होती रही है। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने इसे नया अर्थ और प्रासंगिकता दी है। प्रणब मुखर्जी, भूपेन हजारिका और नानाजी देशमुख हों या फिर लालकृष्ण आडवाणी और कर्पूरी ठाकुर, यह उन लोगों को सम्मानित करने की मोदी की राजनीति के स्पष्ट संकेत थे, जिन्हें कांग्रेस द्वारा नजर अंदाज और तिरस्कृत किया गया था।पूर्व प्रधानमंत्रियों पीवी नरसिम्हा राव और चौधरी चरण सिंह के साथ कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिए जाने की मोदी की नवीनतम घोषणा से यह पता चलता है कि उनकी सरकार भारत की समकालीन राजनीति और अर्थव्यवस्था में इन तीनों हस्तियों की भूमिका को कितना महत्व देती है। इन्हें क्रमश: पहली पीढ़ी के आर्थिक सुधारों, किसानों के हितों की वकालत करने वाले और बेहतर खाद्य उत्पादकता और सुरक्षा के लिए विज्ञान का उपयोग करने वाले चैंपियन के रूप में देखा जाता है। दिलचस्प यह है कि ये सभी 2024 के चुनावों के लिए नरेंद्र मोदी के अभियान के पसंदीदा विषय हैं।दरअसल, महान कृषि वैज्ञानिक डॉ. एमएस स्वामीनाथन को यह पुरस्कार 1960 के दशक में भारत के खाद्य संकट को खत्म करने के लिए हरित क्रांति को लाने में उनकी बड़ी भूमिका को मान्यता देता है। यह स्वामीनाथन की रणनीति ही थी, जिसकी बदौलत भारत के कृषि उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई। अमेरिकी कृषि वैज्ञानिक नॉर्मन बोरलॉग के सहयोग से बतौर वैज्ञानिक उनके काम के परिणामस्वरूप पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों को उच्च उपज की किस्म वाले बीज, पर्याप्त सिंचाई सुविधाएं और उर्वरक उपलब्ध कराए गए।

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